सामान्य गृहस्थ जिसको मंत्र आदि का ज्ञान नहीं उनके हेतु
अभिषेक सामग्री:
दूध, दही, शहद, घी, बूरा अथवा चीनी, गंगाजल, बेल-पत्र, धतूरा, भांग, चन्दन, केसर, कर्पूर, पुष्प, काले तिल, अक्षत(चावल बिना टूटे), गंध
विधि:
स्नान के पश्चयात शुद्ध होकर पूजा की सम्पूर्ण सामग्री लेकर शिव मंदिर जाएँ (भक्तगण घर पर भी शिव पूजा कर सकते हैं)। सर्वप्रथम गौरी-गणेश का पूजन करें।
उसके पश्च्यात शिव वंदना करें
वन्दे देव उमापतिं सुरगुरुं, वन्दे जगत्कारणम् l
वन्दे पन्नगभूषणं मृगधरं, वन्दे पशूनां पतिम् ll
वन्दे सूर्य शशांक वह्नि नयनं, वन्दे मुकुन्दप्रियम् l
वन्दे भक्त जनाश्रयं च वरदं, वन्दे शिवंशंकरम् ll
सौराष्ट्रे सोमनाथं च श्रीशैले मल्लिकार्जुनम्।
उज्जयिन्यां महाकालमोंकारं ममलेश्वरम् ॥
परल्यां वैजनाथं च डाकियन्यां भीमशंकरम्।
सेतुबन्धे तु रामेशं नागेशं दारुकावने ॥
वारणस्यां तु विश्वेशं त्र्यम्बकं गौतमी तटे।
हिमालये तु केदारं ध्रुष्णेशं च शिवालये ॥
एतानि ज्योतिर्लिंगानि सायं प्रातः पठेन्नरः।
सप्तजन्मकृतं पापं स्मरेण विनश्यति ॥
मृत्युञ्जय महारुद्र त्राहि मां शरणागतम्।
जन्म मृत्युजराव्याधिः पीड़ितं कर्म बन्धनैः ।।
अभिषेक के समय रुद्राभिषेकस्त्रोत्र, शिवमहिम्नस्तोत्र, श्रीरुद्रष्टकम, अथवा शिवतांडवस्तोत्रम का पाठ शिव को अत्यंत प्रसन्नता प्रदान करता है। परन्तु अगर आप इनका पाठ नहीं कर सकते तो "नमः शिवाय" का ही जप करें। यह शिव का सबसे सुन्दर तथा आसान, पञ्चाक्षर मंत्र है।
- सबसे पहले शिवलिंग पर जल अर्पित करें
- जलस्नान के बाद शिवलिंग को दूध से स्नान कराएं। फिर से जल से स्नान कराएं।
- उसके बाद दही से स्नान कराएं। इसके बाद जल से स्नान कराएं।
- दही स्नान के बाद घी स्नान कराएं। इसके बाद जल से स्नान कराएं।
- घी स्नान के बाद मधु यानी शहद से स्नान कराएं। इसके बाद जल से स्नान कराएं।
- शहद स्नान के बाद शर्करा या शक्कर से स्नान कराएं। इसके बाद जल स्नान कराएं।
- आखिर में सभी पांच चीजों को मिलाकर पंचामृत बनाकर स्नान कराएं। और “ॐ नमो नमः शिवाय” मंत्र से पूजा करें।
- पंचामृत स्नान के बाद शुद्धजल से स्नान कराएं।
- फिर कर्पूर से सुगंधित शीतल जल चढ़ाएं।
- केसर को चंदन से घिसकर तिलक लगाएं।
- अक्षत (चावल बिना टूटे) अर्पित करें, काले तिल अर्पित करें
- फिर धतूरा, भांग, बिल्वपत्र, अक्षत, पुष्प और गंध चढ़ावें। बिल्वाष्टक बोलते हुए तीन पत्ती वाला बिल्व पत्र शिवलिंग पर इस तरह समर्पित करें की चिकना भाग नीचे रह कर शिवलिंग को स्पर्श करे। ब्रह्मवैवर्त पुराण के अनुसार जो शिवरात्रि के दिन भगवान शंकर को बिल्वपत्र चढ़ाता है, वह पत्र-संख्या के बराबर युगों तक कैलास में सुख पूर्वक वास करता है। पुनः श्रेष्ठ योनि में जन्म लेकर भगवान शिव का परम भक्त होता है। विद्या, पुत्र, सम्पत्ति, प्रजा और भूमि-ये सभी उसके लिए सुलभ रहते हैं।
- किसी भी प्रकार की परेशानी दूर करने के लिए या मनोकामना पूर्ती के लिए 1000 बिल्व पत्र शिव सहस्त्रनाम का पाठ करते हुए अर्पित करें अथवा श्रीशिवाष्टोत्तरशतनामावलिःका पाठ करते हुए 108 बिल्वपत्र अर्पित करें
- इसके बाद धूप, दीप और नैवेद्य भगवान शिव को अर्पित करें।
- उसके बाद नंदीश्वर, वीरभद्र, कार्तिकेय और कुबेर का पूजन करें।
- अंत में पूजा में हुई गलतियों के लिए क्षमा मांग और अपनी कामनाओं के लिए शिव से प्रार्थना करें।
मन्त्रहीनं कियाहीनं भक्तिहीनं सुरेश्वर ।
यत्पूजितं मया देव परिपूर्णं तदस्तु मे ॥
आवाहनं न जानामि न जानामि तवार्चनम् ।
पूजां चैव न जानामि क्षमस्व परमेश्वर ॥
पोपोऽहं पापकर्माऽहं पापात्मा पापसम्भव: ।
त्राहि मां पार्वतीनाथ सर्वपापहरो भव ॥
अपराधसहस्त्राणि कियन्तेऽहर्निशं मया ।
दासोऽयमिति मां मत्वा क्षमस्व परमेश्वर ॥
त्वमेव माता च पिता त्वमेव
त्वमेव बन्धुश्च सखा त्वमेव ।
त्वमेव विद्या द्रविणं त्वमेव
त्वमेव सर्वं मम देव देव ॥
🙏जय महादेव 🙏
🙏जय श्री राम 🙏
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