Thursday, 26 May 2022

Effects of Planet in Nakshatra

#Effects of #Planet in #Nakshatra: #Series
#aswini

1. Results of Planets in Aswini 

#Sun in #Aswini: The native will have Fame, wealth, Religious and blood defects. Moon in Aswini: The native will have a helping nature, cruel, Position. 

#Mars in #Aswini: The native will be short stature, will attain power, will have Average fortune, fear of fire, happy marital life, and will beget girl children. 

#Mercury in #Aswini: The native will be deceitful, characterless, well educated, famous after 35th year, will become a doctor, expert in surgery, religious, writing skills. 

#Jupiter in #Aswini: The native will acquire much knowledge, good at speaking, writing skills, loans, fame, profit due to speculation. 

#Venus in #Aswini: The native will be stout bodied, intelligent, political life, writing skills; will have singing and acting skills. 

#Saturn in #Aswini: The native will have a problematic child hood, income from forests, unsocial activities, and will have gambling skills.

#Rahu in #Aswini: The native will be intelligent, strong body, religious, trouble in the head, spiritual nature, poverty, and will not have marital happiness. The native will also develop diseases due to defects in Vata. 

#Ketu in #Aswini: The native will be good oratory skills, well educated, fame, will be learned in Sastra, will have mass appeal, will be associated with lowly people and will be having a good name in the native place.

2. #Significations of #Planets in #Moola

 #Sun in #Moola: respects parents, charitable nature, small business, Trachphonia, anaemia, weak body. 

#Mars in #Moola: wounds, harsh speech, dependant on others, results only if works hard, impatience, squabbles, disappointment, despair, Regret. 

#Mercury in #Moola: favourite to the rulers, position equal to a minister, happy life, intellectual, interested in old books. 

#Jupiter in #Moola: heads many organisations, sincere, position equal to that of a king, troubles due to women, all comforts, familial comforts, charitable nature. 

#Venus in #Moola: respects relatives, eye diseases, charitable nature, less happiness, flexible nature. 

#Saturn in #Moola: Good, knowledge in various sciences and Shashtra and income from the same, slim personality, brings fame to family, leadership of village. 

#Rahu in #Moola: concerned, less happiness, good cultured, fortune after 50th year, foreign travel, Indecent.

#Ketu in #Moola: cabinet rank, defects of blood, lands, responsibilities, fear of enemies, religious, medium wealth, unexpected responsibilities

Wednesday, 25 May 2022

नवतपा (नौतपा) विशेष

#नवतपा (#नौतपा) विशेष

प्रतिवर्ष 25 मई 2022 से एक प्राकर्तिक खगोलीय घटनाहोती है जिसे नौतपा कहते हैं।  ज्येष्ठ महीने के शुक्लपक्ष की तृतीया तिथि यानी 25 मई को सूर्य कृतिका से रोहिणी नक्षत्र में प्रवेश करेगा और 2 जून तक इसी नक्षत्र में रहेगा। सूर्य के नक्षत्र बदलते ही नौतपा शुरू हो जाएगा। इसकी वजह यह है कि इस दौरान सूर्य की लंबवत किरणें धरती पर पड़ती हैं। लेकिन इस बार शुक्र तारा अस्त होने से इसका प्रभाव कम रहेगा।
क्या होता है नौतपा, इसे समझते हैं।

#सूर्य के #रोहिणी #नक्षत्र में प्रवेश करते ही #नौतपा शुरू हो जाता है, विगत कुछ वर्षों से सूर्य नारायण लगभग 25 मई को ही रोहिणी नक्षत्र में प्रवेश कर रहे थे इस वर्ष भी सूर्यदेव रोहिणी नक्षत्र में 25 मई की दिन मे 3 बजकर 06 मिनट पर प्रवेश करेगें जो 2 जून तक इसी नक्षत्र में रहेगा।

इन दिनों के प्रथम 9 दिन यानी 25 मई से 2 जून तक नवतपा माना जायेगा।
नौतपा साल के वह 9 दिन होते है जब सूर्य पृथ्वी के सबसे नजदीक रहता है जिस कारण से इन 9 दिनों में भीषण गर्मी पड़ती है इसी कारण से इसे नौतपा कहते हैं।

ज्योतिष गणना के अनुसार, जब सूर्य रोहिणी नक्षत्र में 15 दिनों के लिए आता है तो उन पंद्रह दिनों के पहले नौ दिन सर्वाधिक गर्मी वाले होते हैं। इन्हीं शुरुआती नौ दिनों को नौतपा के नाम से जाना जाता है। खगोल विज्ञान के अनुसार, इस दौरान धरती पर सूर्य की किरणें सीधी लम्बवत पड़ती हैं। जिस कारण तापमान अधिक बढ़ जाता है। कई ज्योतिषी मानते हैं कि यदि नौतपा के सभी दिन पूरे तपें, तो यह अच्छी बारिश का संकेत होता है।
सूर्य के वृष राशि के 10 अंश से 23 अंश 40 कला तक नौतपा कहलाता है। इस दौरान तेज गर्मी रहने पर बारिश के अच्छे योग बनते है। सूर्य 8 जून तक 23 अंश 40 कला तक रहेगा।
दरअसल रोहिणी नक्षत्र का अधिपति ग्रह चंद्रमा होता है। सूर्य तेज और प्रताप का प्रतीक माना जाता है जबकि चंद्र शीतलता का प्रतीक होता है। सूर्य जब चंद्र के नक्षत्र रोहिणी में प्रवेश करता है तो सूर्य इस नक्षत्र को अपने प्रभाव में ले लेता है जिसके कारण ताप बहुत अधिक बढ़ जाता है। इस दौरान ताप बढ़ जाने के कारण पृथ्वी पर आंधी और तूफान आने लगते है।
इन दिनों में शरीर तेज़ी से  डिहाइड्रेट होता है जिसके कारण डायरिया, पेचिस, उल्टियां होने की संभावना बढ़ जाती है अतः नीम्बू पानी, लस्सी, मट्ठा (छांछ), खीरा, ककड़ी, तरबूज, खरबूजे का भरपूर प्रयोग करें, बाहर निकलते समय सिर को ढक कर रखें अन्यथा बाल बहुत तेज़ी से सफेद होंगे, झड़ेंगे।

एक दूसरे दृष्टिकोण के अनुसार चंद्रमा जब ज्येष्ठ शुक्ल पक्ष में आर्द्रा से स्वाति नक्षत्र तक अपनी स्थितियों में हो एवं तीव्र गर्मी पड़े, तो वह नवतपा है। मानना है कि सूर्य वृष राशि में ही पृथ्वी पर आग बरसाता है और खगोल शास्त्र के अनुसार वृषभ तारामण्डल में यह नक्षत्र हैं कृतिका, रोहिणी और मृगशिरा (वृषभो बहुलाशेषं रोहिण्योऽर्धम् च मृगशिरसः) जिसमें कृतिका सूर्य, रोहिणी चंद्र, मृगशिरा मंगल अधिकार वाले नक्षत्र हैं इन तीनों नक्षत्रों में स्थित सूर्य गरमी ज्यादा देता है ।

अब प्रश्न यह कि इन तीनों नक्षत्रों में सर्वाधिक गरम नक्षत्र अवधि कौन होगा इसके पीछे खगोलीय आधार है इस अवधि मे सौर क्रांतिवृत्त में शीत प्रकृति रोहिणी नक्षत्र सबसे नजदीक का नक्षत्र होता है।

जिसके कारण सूर्य गति पथ में इस नक्षत्र पर आने से सौर आंधियों में वृद्धि होना स्वाभाविक है इसी कारण परिस्थितिजन्य सिद्धांत कहता है कि जब सूर्य वृष राशि में रोहिणी नक्षत्र में आता है उसके बाद के नव चंद्र नक्षत्रों का दिन नवतपा है ।

नौतपा की पौराणिक परंपरा

परंरपरा के अनुसार नौतपा के दौरान महिलाएं हाथ पैरों में मेहंदी लगाती हैं। क्योंकि मेहंदी की तासीर ठंडी होने से तेज गर्मी से राहत मिलती है। इन दिनों में पानी खूब पिया जाता है और जल दान भी किया जाता है ताकि पानी की कमी से लोग बीमार न हो। इस तेज गर्मी से बचने के लिए दही, मक्खन और दूध का उपयोग ज्यादा किया जाता है। इसके साथ ही नारियल पानी और ठंडक देने वाली दूसरी और भी चीजें खाई जाती हैं।

#शुक्र #तारा #अस्त होने का प्रभाव

इस बार नौतपा के दौरान 30 मई को #शुक्र #ग्रह #वक्री होकर अपनी ही राशि में अस्त हो जाएगा और सूर्य के साथ रहेगा। रोहिणी नक्षत्र का का स्वामी ग्रह चंद्रमा है। सूर्य के साथ शुक्र भी वृषभ राशि में रहेगा। शुक्र रस प्रधान ग्रह है, इसलिए वह गर्मी से राहत भी दिलाएगा। इसलिए देश के कुछ हिस्सों में बूंदाबांदी और कुछ जगहों पर तेज हवा और आंधी-तूफान के साथ बारीश होने की संभावना ज्यादा है। नौतपा के आखिरी दो दिन तेज हवा-आंधी चलने व बारिश होने के भी योग बन रहे हैं। वराहमिहिर के बृहत्संहिता ग्रंथ में ने बताया है कि ग्रहों के अस्त होने से मौसम में बदलाव होता है।

बारिश के योग

इस वर्ष नल नामक संवत्सर के राजा शनि है और रोहिणी का निवास संधि में है। इससे बारीश तो समय पर आ जाएगी लेकिन कहीं पर ज्यादा तो कहीं पर कम बारिश हो सकती है। इस बार देश के रेगिस्तानी और पर्वतीय इलाकों में ज्यादा बारीश हो सकती है। बारीश के कारण अनाज और धान की पैदावार अच्छी रहेगी। धान्य, दूध व पेय पदार्थों में तेजी रहेगी। जौ, गेहूं, राई, सरसों, चना, बाजरा, मूंग की पैदावार आशानुकूल होगी।

🙏Jai Sri Ram🙏

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Tuesday, 3 May 2022

अक्षयतृतीया All About Akshay Tritiya

#अक्षयतृतीया  #AkshayaTritiya 

अक्षय तृतीया का फल अक्षय यानी कि कभी न मिटने वाला होता है. अक्षय तृतीया पर दान पुण्य का भी अत्यंत महत्व है. इस दिन किए गए दान का कई गुना फल प्राप्त होता है. इस बार अक्षय तृतीया 3 मई 2022 को मनाई जाएगी. मान्यता के अनुसार अक्षय तृतीया पर कोई भी शुभ कार्य किया जा सकता है.

सनातन धर्म में अक्षय तृतीया का महत्व (Akshaya Tritiya) बहुत ज्यादा है. इस तिथि के लिए किसी अच्छे मुहूर्त की आवश्यकता नहीं होती. इस साल अक्षय तृतीया 3 मई को है. अक्षय तृतीया अपने नाम के अनुरूप ही शुभ फल प्रदान करने वाली तिथि है. ये हर साल वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि पर मनाई जाती है. स्वयं सिद्ध तिथि पर सारे मांगलिक कार्य जैसे विवाह, गृह प्रवेश, उद्योग का आरंभ करना अत्यंत शुभ फलदाई माना जाता है.

अक्षय तृतीया के अवसर पर सूर्य व चंद्रमा अपनी उच्च राशि में रहते हैं. आइए जानते हैं अक्षय तृतीया से जुड़ी 7 विशेष बातें.

1. मान्यता के अनुसार अक्षय तृतीया शुभ कामों के लिए सबसे अच्छे दिनों में से एक मानी जाती है. यह दिन सबके जीवन में सफलता लाता है. इसलिए इस दिन नया वाहन लेना, गृह प्रवेश करना या आभूषण खरीदना जैसे काम किए जाते हैं. नई ज़मीन खरीदना, शेयर मार्केट में इन्वेस्ट करना, नया बिजनेस शुरू करना भी अक्षय तृतीया के दिन अत्यंत लाभकारी होता है.

2. मान्यता है कि अक्षय तृतीया के दिन जो भी काम किए जाते हैं उसमें बरकत बनी रहती है. अक्षय तृतीया पर अच्छा काम करने का फल कभी समाप्त नहीं होता. वहीं इसके विपरीत जो व्यक्ति इस दिन कुकर्म करता है उसका परिणाम भी उसे कई गुना बढ़कर भुगतना पड़ता है.

3. अक्षय तृतीया पर खरीदारी करने का महत्व आज के परिवेश ने पूरी तरह बदल कर रख दिया है. वास्तव में इस दिन का महत्व खरीदारी करने का नहीं है बल्कि आपके द्वारा संचित किया गया धन वस्तु की खरीदारी में लगाने का है.

4. मान्यता के अनुसार कलयुग के नकारात्मक प्रभाव से बचने के लिए अक्षय तृतीया पर भगवान विष्णु की पूजा करनी चाहिए. इस दिन दान भी करना चाहिए. ऐसा करने से अगले जन्म में निश्चित रूप से समृद्धि, ऐश्वर्य व सुख की प्राप्ति होती है.

5. दुर्भाग्य को सौभाग्य के रूप में परिवर्तित करने के लिए अक्षय तृतीया का दिन सर्वश्रेष्ठ है. वैज्ञानिक दृष्टिकोण से दान को ऊर्जा के रूपांतरण से जोड़कर देखा जाता है.

6. अक्षय तृतीया के दिन भगवान विष्णु के चरणों से मां गंगा अवतरित हुईं थी. सतयुग, द्वापर व त्रेतायुग का आरंभ इसी दिन से माना जाता है.

7. अक्षय तृतीया के दिन चारों धाम में से एक भगवान बद्रीनाथ के पट खुल जाते हैं. इस दिन वृंदावन में श्री बिहारी के चरणों के दर्शन साल में एक बार ही होते हैं. मत्स्य पुराण के अनुसार अक्षय तृतीया के दिन अक्षत पुष्प दीप से भगवान विष्णु की पूजा करना चाहिए इससे उनकी विशेष कृपा प्राप्त होती है.

हिंदू शास्त्रों के अनुसार अक्षय तृतीया का महत्व :-

भविष्यपुराण, मत्स्यपुराण, पद्मपुराण, विष्णुधर्मोत्तर पुराण, स्कन्दपुराण में इस तिथि का विशेष उल्लेख है। इस दिन जो भी शुभ कार्य किए जाते हैं, उनका बड़ा ही श्रेष्ठ फल मिलता है। इस दिन सभी देवताओं व पित्तरों का पूजन किया जाता है। पित्तरों का श्राद्ध कर धर्मघट दान किए जाने का उल्लेख शास्त्रों में है। वैशाख मास भगवान विष्णु को अतिप्रिय है अतः विशेषतः विष्णु जी की पूजा करें। 

भविष्यपुराण, ब्राह्मपर्व, अध्याय 21 के अनुसार 

वैशाखे मासि राजेन्द्र तृतीया चन्दनस्य च। वारिणा तुष्यते वेधा मोदकैर्भीम एव हि ।।
दानात्तु चन्दनस्येह कञ्जजो नात्र संशयः। यात्वेषा कुरुशार्दूल वैशाखे मासि वै तिथिः।।
तृतीया साऽक्षया लोके गीर्वाणैरभिनन्दिता। आगतेयं महाबाहो भूरि चन्द्रं वसुव्रता।।
कलधौतं तथान्नं च घृतं चापि विशेषतः। यद्यद्दत्तं त्वक्षयं स्यात्तेनेयमक्षया स्मृता।।
यत्किञ्चिद्दीयते दानं स्वल्पं वा यदि वा बहु। तत्सर्वमक्षयं स्याद्वै तेनेयमक्षया स्मृता।।
योऽस्यां ददाति करकन्वारिबीजसमन्वितान्। स याति पुरुषो वीर लोकं वै हेममालिनः।।
इत्येषा कथिता वीर तृतीया तिथिरुत्तमा। यामुपोष्य नरो राजन्नृद्धिं वृद्धिं श्रियं भजेत्।।

वैशाख मास की तृतीया को चन्दनमिश्रित जल तथा मोदक के दान से ब्रह्मा तथा सभी देवता प्रसन्न होते हैं | 
देवताओं ने वैशाख मास की तृतीया को अक्षय तृतीया कहा है | इस दिन अन्न-वस्त्र-भोजन-सुवर्ण और जल आदि 
का दान करनेसे अक्षय फल की प्राप्ति होती है | इसी तृतीया के दिन जो कुछ भी दान किया जाता है वह अक्षय हो 
जाता है और दान देनेवाले सूर्यलोक को प्राप्त करता है | इस तिथि को जो उपवास करता है वह ऋद्धि-वृद्धि और 
श्री से सम्पन्न हो जाता है |

स्कन्दपुराण के अनुसार, जो मनुष्य अक्षय तृतीया को सूर्योदय काल में प्रातः स्नान करते हैं और भगवान विष्णु की पूजा करके कथा सुनते हैं, वे मोक्ष के भागी होते हैं। जो उस दिन मधुसूदन की प्रसन्नता के लिए दान करते हैं, उनका वह पुण्यकर्म भगवान की आज्ञा से अक्षय फल देता है। 

भविष्यपुराण के मध्यमपर्व में कहा गया है 
वैशाखे शुक्लपक्षे तु तृतीयायां तथैव च ।

गंगातोये नरः स्नात्वा मुच्यते सर्वकिल्बिषैः ।।

वैशाख शुक्ल पक्ष की तृतीया में गंगाजी में स्नान करनेवाला सब पापों से मुक्त हो जाता हैं | वैशाख मास की तृतीया स्वाती नक्षत्र और माघ की तृतीया रोहिणीयुक्त हो तथा आश्विन तृतीया वृषराशि से युक्त हो तो उसमें जो भी दान दिया जाता है, वह अक्षय होता है | विशेषरूप से इनमें हविष्यान्न एवं मोदक देनेसे अधिक लाभ होता है तथा गुड़ और कर्पुरसे युक्त जलदान करनेवाले की विद्वान् पुरुष अधिक प्रंशसा करते हैं, वह मनुष्य ब्रह्मलोक में पूजित होता हैं | यदि बुधवार और श्रवण से युक्त तृतीया हो तो उसमें स्नान और उपवास करनेसे अनंत फल प्राप्त होता हैं | 

अस्यां तिथौ क्षयमुर्पति हुतं न दत्तं ।
 तेनाक्षयेति कथिता मुनिभिस्तृतीया ।
 उद्दिश्य दैवतपितृन्क्रियते मनुष्यै: ।
 तत् च अक्षयं भवति भारत सर्वमेव ।। – मदनरत्न

अर्थ : भगवान श्रीकृष्ण युधिष्ठरसे कहते हैं, हे राजन इस तिथिपर किए गए दान व हवनका क्षय नहीं होता है; इसलिए हमारे ऋषि-मुनियोंने इसे ‘अक्षय तृतीया’ कहा है । इस तिथिपर भगवानकी कृपादृष्टि पाने एवं पितरोंकी गतिके लिए की गई विधियां अक्षय-अविनाशी होती हैं । 

अक्षय तृतीया के दिन क्या करें
1. 'निर्णय सिन्धु' में वैशाख शुक्ल पक्ष की तृतीया में गंगा स्नान का महत्त्व बताया है - बैशाखे शुक्लपक्षे तु तृतीयायां तथैव च । गंगातोये नर: स्नात्वा मुच्यते सर्वकिल्विषै: ॥
2. आज के दिन कोई भी काम शुरू करने का अबूझ मुहूर्त होता है। 
3. ब्राह्मणों को भोजन कराना चाहिए।
4. जो मनुष्य वैशाख शुक्ल की तृतीया को चंदन से श्रीकृष्ण को भूषित करता और पूजन करता है,वह वैकुण्ठ को प्राप्त होता है। 
5. इस दिन वृन्दावन में बांके बिहारी के दर्शन करना अत्यंत शुभ होता है।
6. अक्षय तृतीया के दिन जल से भरे कलश, पंखा, चावल, नमक, घी, चीनी, सब्जी, फल, इमली, खरबूज, तरबूज, चरणपादुकायें (खड़ाऊँ), जूता, छाता और वस्त्र वगैरह का दान अच्छा माना जाता है। 
7. इस दिन सत्तू अवश्य खाना चाहिए।
8. चावल और मूंग की दाल खानी चाहिए 
9. जो मनुष्य इस दिन नदी, पवित्र सरोवर अथवा सागर स्नान करता है, उसे पापों से मुक्ति मिलती है।
10. शुभ, पूजनीय नवीन कार्य जैसे मूर्ति स्तःपना ग्रह प्रवेश कार्य इस दिन होते हैं, जिनसे प्राणियों (मनुष्यों) का जीवन धन्य हो जाता है।
11. श्रीकृष्ण ने भी कहा है कि यह तिथि परम पुण्यमय है। इस दिन दोपहर से पूर्व स्नान, जप, तप, होम, स्वाध्याय, पितृ-तर्पण तथा दान आदि करने वाला महाभाग अक्षय पुण्यफल का भागी होता है।
12. आज के दिन नवीन वस्त्र, शस्त्र, आभूषणादि बनवाना या धारण करना चाहिए।
13. अक्षय तृतीया के पर्व पर लक्ष्मी जी की आराधना से धन में स्थायित्व आता है & जीवन पर्यंत धन की कमी नहीं रहती, व्यापार वृद्धि, पर्याप्त धनार्जन के पश्चात् भी धन संचय न होना, आर्थिक उन्नति के लिए, ऋण, दरिद्रता दूर करने के लिए अक्षय तृतीया के दिन लक्ष्मी जी की मंत्र-जप से आराधना करें ताकि धन-धान्य से घर अक्षुण बना रहे।
14. लक्ष्मी प्राप्ति के लिए कमलगट्टे की माला पर लक्ष्मी मंत्र का जप करें, श्रीसूक्त का पाठ करें। 

#akshayatritiya2022 #AkshayaTritiya #अक्षयत्रितया

बसंत पंचमी

#वसंत पंचमी 25 जनवरी 2023 बुधवार को दोपहर 12:35 से 26 जनवरी, गुरुवार को सुबह 10:28 तक माघ माह की पंचमी तिथी है। यदि आप और आपके जीवनसाथी के ब...